
उत्तराखंड की कुमाउनी और गढ़वाली संस्कृति के रंगों को अब सात समुन्दर पार बैठे प्रवासी भारतीय भी देख सकेंगे और अपनी संस्कृति से जुड़ सकेंगे उत्तराखंड का पहला गढ़वाली कुमाऊनी ओटीटी प्लेटफार्म ऐप ‘अम्बे सिने’ के माध्यम से उत्तराखंडी फिल्मो एवं गीत संगीत को ऐप के माध्यम से देश विदेश में घर बैठे देखने को उपलब्ध है।


अम्बे सिने ओटीटी प्लेटफार्म के डायरेक्टर बी सी ध्यानी ने कहा की ऐप का उद्देश्य उत्तराखंडी भाषाओं में निर्मित फिल्मे एवं गीत संगीत को इस ऐप के माध्यम से उत्तराखंड एवं देश विदेश में रह रहे उत्तराखंडियाँ तक पहुंचना है ताकि हमारे उत्तराखंडी अपनी भाषा एवं संस्कृति से जुड़े रहे। जहां आज फिल्म जगत से जुड़े निर्माता फिल्म बनाने में अपना पैसा लगा तो लेते हैं लेकिन सीमित साधन होने के कारण फिल्मों को सिनेमा हॉल तक पहुंचाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है और बहुत कम दर्शकों तक फिल्मे पहुँचती है जिस कारण उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। इस आर्थिक नुकसान के कारण बहुत से निर्माता दुबारा फिल्म बनाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।

इसी उद्देश्य को मध्यनजर रखते हुए अम्बे सिने ओटीटी प्लेटफॉर्म को लांच किया गया ताकि ये फिल्मे देश विदेश के हर कोने तक पहुँच सके। उत्तराखंड का पहला गढ़वाली कुमांऊनी ओटीटी प्लेटफार्म ऐप अम्बे सिने में कड़े गढ़वाली कुमाउनी गीत संगीत, फिल्मे, वेबसीरीज घर बैठे देखने के लिए आप “अम्बे सिने” ऐप को अपने
मोबाइल । पीसी पर गूगल प्ले ऐप स्टोर से डाउनलोड कर सकते है
वहीं इसी कड़ी में अब कुमाउनी फिल्म ‘माटी पछ्याण भी ऐप में उपलब्ध है।अभी तक दो लाख से अधिक लोगो द्वारा इस ऐप को डाउनलोड किया जा चूका है !

फ़िल्म के सयोजक नरेंद्र टोलिया ने बताया की फॉर्च्यून टॉकीज मोशन पिक्चर्स के बैनर तले माटी पड्याण’ नाम से लोक भाषा कुमाउनी में फिल्म जिसके निर्माता फराज शेरी एवं अजय बेरी के निर्देशन में बनी फिल्म पहाड़ों में पलायन और महिला सशक्तिकरण की बात की गई है। कुमाऊं अंचल की इस मेघा बजट फिल्म में मुख्य कलाकार अंकिता परिहार, करन गोस्वामी, सहयोगी कलाकार आकाश नेगी, चंद्रा बिष्ट, वान्या जोशी, पदमेदर रावत, प्रकाश जोशी, नरेश बिष्ट, जीवन सिंह रावत, आरव बिष्ट, विजय जम्मवाल, तरुण, शेखर आर्या, रेखा पाटनी, महेंद्र बिष्ट इत्यादि हैं। इस फिल्म की पटकथा मनमोहन चौधरी ने लिखी हैं एवं फिल्म का संगीत राजन बजेली का है और फिल्म का संपादन मुकेश झा ने किया है।
उत्तराखंड का प्रतिष्ठित फिल्म अवाईस शो ‘उत्तराखंड सिने अवाईस में वर्ष 23 के लिए फिल्म को सर्वश्रेष्ठ छत्तनायक, सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशन, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के अवार्ड से नवाजा गया।

माटी पहचान फ़िल्म के सयोजक नरेंद्र टोलिया ने प्रेस वार्ता के दौरान बतया की फिल्म की कहानी उत्तराखंड की सच्ची घटनाओं पर निर्मित है। एक छोटे से गांव की पहचान, समुदाय, भाषा और प्रेम के जटिल मुद्दों को फिल्म में फिल्माया गया है। शूटिंग उत्तराखंड के कोटाबाग (नैनीताल) व भीमताल की यूबसूरत वादी में हुई है। फिल्म कुमाऊनी बोली-भाषा के प्रभावशाली व ध्यान आकर्षित करने वाले ठोस सवादो से परिपूर्ण है। फिल्म पहाड़ी अंचल से निरंतर हो रहे पलायन के दर्द व अंचल में बाहरी लोगों की घुस पैठ से बढ़ रही अशांति को बयां करती है. उस पर चोट करती है। फिल्म के माध्यम से बताया गया है, कोई भी व्यक्ति पहाडी अंचल से पलायन नहीं करना चाहता है। लेकिन अपने बच्चों के भावी भविष्य के लिए उसे कठिन निर्णय लेने को मजबूर होना पड़ता है। अंचल के रोजमर्रा के मुर्दा के साथ-साथ, बेटी के हक की बात भी फिल्म में प्रभावी तरीके से बया की गई है। पहाड़ी अंचल की लड़की का पहाड जैसा साहस दिखाया गया है।








