शाहतूती रेशम कीट पालन बना रोजगार का जरिया, रेशम विभाग के इस योजना से किसानों को हो रहा लाभ..

हल्द्वानी किसने की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए प्रदेश सरकार कई तरह की योजनाएं चल रही है.इसी के तहत रेशम विभाग रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए रेशम कीट पालन का योजना चल रहा है जिसके तहत कुमाऊं मंडल के 2933 काश्तकार रेशम कीट उत्पादन के माध्यम से अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं इस समय रेशम उत्पादन का अनुकूल मौसम है

. ऐसे में रेशम विभाग इन दिनों बसंत ऋतु के दौरान तैयार होने वाले रेशम उत्पादकों के लिए कीट तैयार करने में जुटा हुआ है. रेशम विभाग कच्चा रेशम बनाने के लिए रेशम के कीड़ों का पालन कर काश्तकारों को वितरित कर रहा है उपनिदेशक रेशम विभाग हेमचंद्र ने बताया कि कुमाऊं मंडल के काश्तकारों को परंपरागत खेती के साथ-साथ रेशम कीट पालन के माध्यम से आर्थिक स्थिति मजबूत कराया जा रहा है

जिसके तहत कुमाऊं मंडल के 4 जिलों के अंतर्गत रेशम कीट पालन के क्षेत्र में 2933 काश्तकार कम कर रहे हैं उन्होंने बताया कि मार्च महीने का बसंत ऋतु का मौसम कीट पालन के लिए सबसे उपयोगी माना जाता है.जहां काश्तकारों को 98 हजार 900 डीएलएफ किट उपलब्ध कराया जाना है. उन्होंने बताया कि कुमाऊं मंडल में वित्तीय वर्ष में 2024-25 में 87260 किलोग्राम रेशम उत्पादन किया गया था उन्होंने बताया कि किसान अपनी परंपरागत खेती के साथ-साथ रेशम उत्पादन कर सकता है. रेशम के कीड़ों की लाइफ सिर्फ 25 से 28 दिन की होती है. रेशम कीट उत्पादन के क्षेत्र में जुड़े किसानों को विभाग द्वारा निशुल्क शहतूत के पेड़ उपलब्ध कराए जाते हैं

जिससे कि किस शहतूत के पत्तों के माध्यम से काश्तकार अपने घर में रेशम के किट का पालन कर उससे तैयार कोया उत्पादन कर रेशम विभाग को देकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं. किसान अगर रेशम उत्पादन का काम करते हैं तो अन्य खेती के साथ साल में दो बार रेशम का उत्पादन कर 40 से 50 हजार तक की आमदनी अलग से हो सकती है उपनिदेशक रेशम हेमचंद्र ने बताया कि अगर कोई किसान रेशम कीट का पालन की योजना से जुड़ना चाहता है तो अपने नजदीकी रेशम विभाग कार्यालय में जाकर संपर्क कर सकता है जहां काश्तकारों को विभाग द्वारा रेशम कीट संबंधित सभी जानकारियां निशुल्क दी जाती है.

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